NEELAM GUPTA

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लेखनी कहानी -16-Nov-2021 नौकरी का पहला दिन


मम्मी कल मेरा ऑफिस का पहला दिन है ,

सब अच्छे से तैयार कर देना ।


अरे बेटा मैं तो तैयार कर दूंगी ।तुम अपना देख लो।


मेरा तो पहले से ही सब तैयार है ।


हां वह तो मैं जानती हूं, कितनी उतावली.हो रही हो तुम।


नहीं मम्मी डर भी लग रहा है ,कैसे होंगे वहाँ सब, मैं अच्छे से काम कर पाऊंगी या नहीं ,लोगों से बात कैसे करूँगी ।


अरे नहीं,मेरी बेटी तो बहुत होशियार है उसे कैसे डर रहा है इतनी मेहनत से आखिर यह जाँब मिली है ।इस जाँब के लिए तुमने कितने-कितने इंटरव्यू दिए ,जब जाकर तुम्हारा सिलेक्शन हुआ है। खूब मेहनत करना।


हां मम्मी मैं मेहनत से नहीं डरती।लेकिन बस कुछ मन में उथल-पुथल सी हो रही है।


वह तो नेचुरल है बेटा जब किसी नई जगह पर जाते हैं तो मन में थोड़ी बेचैनी तो होती ही है।


विनीता को नई नई नौकरी मिली जिसके लिए सुबह सुबह निकलना था इस कारण से रात भर नींद नहीं आई और जल्द से तैयार होकर बैठ गई मम्मी को भी नहीं सोने दिया ।तभी कैब का होर्न बजा। उसने जल्दी से मां बाबा से आशीर्वाद लिया और मम्मी पापा को नमस्ते करते हुए और बाय कहते हुए अपनी ऑफिस की तरफ निकल गई।


सुबह का समय था लेकिन दिल्ली की सड़कें खाली कहाँ होती हैं।

भैया समय से तो पहुंच जाएंगे यह कहते हुए उसने गाड़ी को तेज चलाने के लिए कहा।


मैडम आप चिंता न करें। हम समय से निकले हैं समय पर पहुंच जाएंगे।


ओफ्फो आज ही सारा टैफिक निकलना हैं।

पूरे रास्ते टेंशन मे निकाल दी ।लेकिन अंदर एक अद्भुत एहसास था आज मैं अपने पैरों पर खडी हो गई हूँ। अब मैं निर्बल कमजोर नही हूँ। एक नया आत्मविश्वास उसके चेहरे पर चमक रहा था और खुशी से अंदर अंदर से मन गुदगुदा रहा था इन खयालों में खोई खोई वह ऑफिस पहुंच गई।


गार्ड को हेलो बोलते हुए और अपनी एंट्री कराते हुए तेज कदमों से ऑफिस की तरफ बढ़ी। ऐसा लग रहा था जैसे उड़कर अंदर पहुंच जाएगी।


आफिस में दाखिल होते हुए उसका आत्मविश्वास उसके साथ था ।अंदर से थोड़ा डर भी था लेकिन अपने आत्मबल पर वह ऑफिस में गई और मैनेजर को हैलो कहा।


हेलो अच्छा तो आप आ गए ,मैं आप का ही वेट कर रही थी ।मैनेजर ने उसको ,उसका काम समझाया और उन लोगों से मिलाया जिससे उसकी ट्रेनिंग होनी थी।


कुछ वक्त आप इन लोगों के साथ काम करो और सीखो फिर आगे का काम करेंगे उस दिन विनीता इतनी खुश थी कि बड़ी खुशी खुशी उसने सारा काम सीखा उसका सारा डर भी निकल गया क्योंकि सभी लोग उसको बहुत अच्छे लगे ।कुछ लोग नकचढे से भी लगे। लेकिन वह जानती थी कि पहले ही मुलाकात में किसी के लिए कोई भी राय नहीं बनानी चाहिए।

जब लोगों से बार-बार मिलते जुलते हैं तभी उनके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त होती है कि वह किस तरह का व्यवहार करते हैं।


सभी कोवर्कर से जल्दी ही उसकी दोस्ती हो गई वह सभी लंच के लिए एक साथ गए।सब ने अपने नए काम के बारे में बातें की नए दोस्त मिले ।नई जान पहचान हुई इस बीच में विनीता को समय का आभास भी नहीं हुआ कि किस प्रकार सुबह से शाम हो गई और उसका ऑफिस का टाइम खत्म हो गया। उसी इतनी एक्साइटमेंट थी कि पूरे दिन काम करके भी उसे थकावट नहीं हुई।


शाम को कि मैनेजर ने उसको ऑफिस में बुलाया एक बार तो उसका दिल धक से हो गया ।क्या बात हुई जो मैनेजर ने मुझे बुलाया है ।


मैनेजर….वेल डन ! तुमने आज पहला दिन ही बहुत मन लगाकर काम किया ।


यह सुनकर विनिता का पूरा दिन बन गया वह खुशी-खुशी कैब में बैठकर अपने घर के लिए चल दी। 


घर जा कर है मम्मी की जान खाते हुए उसने उस इसका पूरा हाल सुनाया ।उसकी खुशी की चमक उसकी आंखों में झलक रही थी आखिर वह अपने कार्य में सफल हुई जीवन को उसके एक नई दिशा मिल गई।


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3 Comments

Seema Priyadarshini sahay

16-Nov-2021 09:57 PM

बहुत खूब

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Swati chourasia

16-Nov-2021 06:55 PM

Very beautiful 👌

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Niraj Pandey

16-Nov-2021 06:04 PM

बहुत ही बेहतरीन कहानी

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